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मंगलवार, 3 नवंबर 2020

नशा मुक्ति केंद्र की आड़ में‌ लोगों से कर रहे हैं केदी से भी बुरा व्यवहार

 सांचौर के बद्री आश्रम नशा मुक्ति केंद्र की कहानी:-

जालौर का सांचौर भीनमाल क्षेत्र में अफीम डोडा स्मेक व एमड नशें के दलदल में कई युवा फंस चुके हैं, पुलिस व प्रशासन के अथक प्रयास के बाद भी नशें पर लगाम लगाने में नाकाम रहे हैं बढते को देखते हुए सरकार व प्रशासन ने भी नशामुक्ति अभियान चलाया लेकिन किसी प्रकार की सफलता हाथ नहीं लगी, इसी बिच युवाओं को नशा मुक्त करने के उद्देश्य से स्थानीय विधायक एवं सामाजिक संगठन द्वारा सांचौर में ही बद्री आश्रम नशा मुक्ति केंद्र नाम से नशा छुड़वाने हेतु केन्द्र स्थापित किया व युवाओं को नशा छुड़वाने के लिए केन्द्र में रखने लगे लेकिन बदकिस्मती से व्यस्थापकों व केन्द्र संभालने वालों ने इसे आपना धंधा बना लिया और नशा छोड़ने के लिए आने वालों के परिजनों से विआईपी सुविधा देने के नाम पर मोटी रकम एंठने में लग गए, एक व्यक्ति से मासिक 10 से 12 हजार रूपया लेना शुरू कर दिया, इतना ही नहीं जब युवाओं द्वारा किसी प्रकार की सुविधाएं नहीं होने का पुछने पर उनके साथ मार-पीट करना शुरू कर दिया गया, और मारपीट भी ऐसी कि देखने और सुनने वालों की रूह कांप जाती हैं, लेकिन धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का इसी वजह से इन नशेड़ियों का समर्थन करने यां सुनने वाला भी कोई नहीं है यह अपनी बात बताएं तो बताएं किसको उन्हें इस हद तक पीटा जाता है की पीड़ित दोबारा कोई शिकायत करें तो उन्हें पुनः उसी सजा से गुजरना पड़ता है! नशा मुक्ति केंद्र में रहकर भाई लोग बताते हैं की और बद्री आश्रम में अगर कोई बंदा नशा छोड़ने के लिए पहली बार जाता हैं तो अंदर जाते ही उसे कपड़े उतरवाए जाते हैं टॉयलेट बाथरूम साफ करवाए जाते हैं और सभी के बर्तन धुलवाए जाते हैं ऐसा करने से मना करने पर उसके साथ प्लास्टिक की पाइप से मारपीट की जाती है, उसमें दो जने हाथ पैर पकड़ते हैं और उसे हवा में लहराते हुए दो जने आमने-सामने पाइप से पिटते है और जब पाइप टूट नहीं जाती या वो बंदा बेहोश नहीं हो जाता है तब तक पिटते रहते हैं और बेहोश हो जाने पर उसे एक कमरे में डाल दिया जाता था और होश में आने पर उसे काम पर लगने कहते और मना करने पर पुनः उसी प्रकार यातनाएं दी जाती है।

अन्दर जाने के बाद तीन माह तक किसी से मिलने भी नहीं दिया जाता है और सीसीटीवी के द्वारा परिजनों को दिखाया जाता है:-
किसी भी नशेड़ी को शिविर के अंदर जाने के बाद उसे बाहर की दुनिया से काट दिया जाता है 3 माह तक घरवालों वह अन्य किसी से मिलने व बात तक नहीं करने दिया जाता है अगर कोई परिजन उससे मिलने आता है तो उन्हें ऑफिस में बिठाकर अंदर का सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से उस बंदे को कैमरे के नीचे लाकर उसे जबरदस्ती हंसने का कहते हैं और उसके परिजन सीसीटीवी की स्क्रीन पर उसे हंसता हुआ देखकर मान लेते हैं कि हमारा बच्चा सही व सुरक्षित है लेकिन उन्हें अंदर के माहौल के बारे में पता तक लगने नहीं दिया जाता है। और घरवालों को पूरी तरह से आश्वस्त कर देते हैं कि आपके बच्चे को किसी प्रकार की तकलीफ़ नहीं है और उसे नशा छुड़वा दिया जाएगा।

नशा मुक्ति केंद्र  के स्टॉफ एवं व्यवस्थापक खुद करते हैं नशे का सेवन:-
नशा मुक्ति केंद्र में रहकर आए लोग बताते हैं की नशा मुक्ति केंद्र मैं व्यवस्थापक वह अन्य स्टाफ भी जब उस केंद्र में कोई नया मरीज़ आता है तो उसकी जेब से नशे की वस्तु जैसे स्मेक, एमडी, अफीम व एडनोक टेबलेट आदि निकालकर अपने पास रख लेते हैं एवं उसका वह लोग खुद सेवन करते हैं पता केंद्र में रहने वाले कोई दबंग लोग जो उनका साथ देते हैं उन्हें भी इसका सेवन करवाते हैं ।

बाहर निकलने वाले को अन्दर का राज नहीं खोलने की धमकी देकर भेजते हैं बाहर:- 
कोई भी मरीज नशा मुक्ति केंद्र से नशा छोड़कर बाहर निकलता है तो उसे धमकी देकर बाहर निकालते हैं की अंदर का राज बाहर किसी को बताया तो तेरे को पकड़कर वापस नशा मुक्ति केंद्र में डाल देंगे और तेरे साथ बुरी तरह मारपीट करेंगे इसी डर की वजह से बाहर निकलने वाले मरीज अपने साथ हुए अन्याय को भुला देते एवं किसी को नहीं बताते हैं तथा कई मरीजों ने बताया की अंदर शुरुआत में 2 महीने तक हमें बुरी तरह मारा-पीटा जाता है एवं आखिरी 1 माह हमें खुश रखने की कोशिश करते हैं ताकि यह बाहर निकल कर अंदर का राज न खोल दें ।


एक व्यक्ति की मौत के बाद खुला नशा मुक्ति केंद्र पूरा का राज:-
बद्री आश्रम नशा मुक्ति केंद्र सांचौर में कुछ दिन पूर्व एक मरीज सुरेश कुमार खिलेरी अफीम का नशा छोड़ने हेतु नशा मुक्ति केंद्र में गया था जिसने ₹30000 जमा भी करवाएं वह नशा मुक्ति केंद्र में चला गया लेकिन अन्दर जाने के बाद उसे कपड़े उतारने के लिए बोला गया तो उसने कपड़े उतारने से मना कर दिया तो उसके साथ व्यवस्थापक वह अन्य स्टाफ ने उसके साथ भी बुरी तरह से मारपीट की और उसे बेहोशी हालत में एक कमरे में डाल दिया लेकिन उसे होश आने पर उसने अन्य मरीजों व केन्द्र के स्टॉफ को बताया कि मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है मेरा इलाज करवाओ तो व्यवस्थापक ने बोला कि यह नाटक कर रहा है इसको और पीटो तो ठीक हो जाएगा उसके बाद रात के समय उसके साथ दोबारा मारपीट की तो उसकी मौत हो गई तब मौत होने पर व्यवस्थापक ने घरवालों को सूचना देकर बताया की आपके लड़के की तबीयत खराब हो गई है उसका इलाज करवाना है आप अस्पताल आओ घरवालों ने जाकर देखा तो हो उसकी मौत हो चुकी थी लेकिन संचालक व व्यवस्थापक ने घरवालों को बताया की इसकी हार्ट अटैक से मौत हो गई है इसे आप जल्दी घर ले जाओ नहीं तो कोरोना की वजह से आपको इसका शव घर ले जाने नहीं देंगे फिर आपके प्रॉब्लम हो जाएगी इसलिए आप जल्दी मैं ले जाकर इसका अंतिम संस्कार कर दो तो फिर वालों ने भी आव देखा न ताव उसे घर ले जाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया लेकिन बाद में अन्तिम संस्कार में शामिल लोगों ने बताया कि सुरेश के शरीर पर चोट के निशान थे इसके साथ मारपीट हुई ऐसा लगता है तब घरवालों ने उस केन्द्र में मोजूद अन्य किसी मरीजों को पूछा तो उसने बताया सुरेश को हमारे सामने पीट-पीटकर मारा कोई हार्ट अटेक नहीं आया था,  तो घर वालों ने पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा कर कार्रवाई करने की मांग की पुलिस ने राजनीतिक दबाव के चलते किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की ओर मामले को रफा-दफा करने में लग गए लेकिन कुछ सामाजिक संगठनों वह युवाओं द्वारा सोशलमीडिया में मुद्दा उठाने लगे तो व्यवस्थापक व संचालकों द्वारा परीजनो को बहकावे में लेकर कहा कि सुरेश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डोक्टर ने हार्ट अटेक का लिख दिया है तथा हमारे पास आपके हस्ताक्षर लिए हुए है आपकी कोई कार्रवाई नहीं होगी हमारी बदनामी हो रही है हम आपको इसके बदले में रुपए दे देते हैं इस तरह परिवार वालों को बहकाकर 12.51 लाख रुपए देकर उन्हें कार्रवाई नहीं करने हेतु राज़ी कर दिया। लेकिन जिन लोगों के साथ इस तरह से मारपीट हुई है उन्हें भी अब न्याय आस नहीं है।
यातनाएं सहने के बाद भी इनकी सुनने वाला कोई नहीं है:-
इस घटनाक्रम के बाद यातनाएं भुगतने वाले अब हिम्मत करके सामने आ रहे हैं और अपना दर्द सुना रहे हैं लेकिन आरोपी व्यवस्थापक वह स्टाफ की राजनीतिक पहुंच होने व रसूखदार होने की वजह से पुलिस व प्रशासन भी इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
नशा मुक्ति केंद्र चलाकर नशा छुड़वाने काम अच्छा है लेकिन इनके नाम पर शारीरिक यातनाएं देना गलत है:-
युवाओं में बढते हुए नशें के प्रचलन को देखते हुए नशा छुड़वाने का कार्य प्रशंसनीय है लेकिन नशा छुड़वाने के नाम पर घरवालों को अंधेरे में रखकर उनसे पैसे एंठना, वह मरिज को शारीरिक व मानसिक यातनाएं देना गलत है । मरीजों को मेडिसिन देकर व मानसिक रूप से तैयार कर नशा छुड़वाना चाहिए लेकिन जबरदस्ती मारपीट करके नशा नहीं छुड़वा सकते हैं।
बिना डॉक्टर व डिग्री के करते हैं नशा मुक्ति केंद्र का संचालन:-
बद्री आश्रम नशा मुक्ति केंद्र सांचौर में नशा छुड़वाने हेतु बिना किसी डिग्री व अनुभव के करते हैं नशा मुक्ति केंद्र का संचालन। नशा करने वाले व्यक्ति को नशा छोड़ने हेतु मानसिक रूप से काउंसलिंग कर व मेडिसिन देकर इलाज करने हेतु एक अनुभवी डोक्टरों की आवश्यकता होती है लेकिन नशा करने वालो को बंदी बनाकर उनके साथ मारपीट कर शारीरिक यातनाएं देकर लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं है। प्रशासन को इस तरीके से धन कमाने के मकसद से केंद्र का संचालन कर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

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नशा मुक्ति केंद्र की आड़ में‌ लोगों से कर रहे हैं केदी से भी बुरा व्यवहार

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